एक घटना भाग 3 रियल स्टोरी

 

तीसरा भाग

         जब पीटर एक मेट्रो ट्रेन स रात के बक़त अपने घर लौट रहा होता है तब ट्रेन की लाइट बन्द होकर फिरसे  ऑन होती है तो पीटर के सामने वाली सीट पर अचनक  एरिका बैठी हुई होती है और वो कहती है कि उस दिन तुमने मुझे सुसाइड के बारे में पूछा था तो में कोई जवाब नही दिया क्योंके में तो पहले से ही मर चुकी हूं और फिर से ट्रेन में अंधेरा हो जाता है। पावर आते ही पीटर के सामने एरिका नही होती। जब पीटर अपने स्टेशन पर उतरता है तो लोगो की भीड़ में अपने भयानक चेहरे के साथ स्टेशन पर जगह जगह दिखती है। अब पीटर पक्का  भूतों पर विश्वस करने लगता है। दूसरे दिन पीटर अपने दोस्त डंकन से मिलने जाता है ओर सब बात बताता है। उंसको एलिजाबेथ की डॉल दिखाकर सबूत देता है। डंकन इस बात को मान ने को तैयार नही  था लेकिन डॉल को देखकर मान जाता है। डंकन बार बार पीटर को उसकी बेटी की मौत कैसे हुई  उस वक़्त पीटर ने क्या ऐसा देखा कि उसी जगह खड़ा रहे गया?  

          अब पीटर गूगल बाबा की मदद लेकर एलिजाबेथ वेलेंटाइन ओर एरिका की ओर उस महीने जितने भी पेसेंट की कुंडली निकाल ता है और चौक जाता है क्युके वो सारे पेशंट तो कब के मर चुके थे। सारे मरने वालों में एक बात कॉमन होती है कि वो सब एक ही तारिक एक ही दिन 12 मार्च 1987 को मर गए थे। ये बात पीटर डंकन को बताता है की जितने भी लोगो को तुमने मेरे पास इलाज के लिए भेजा वो सब टी 30 साल पहले एक ही हादसे में मर चुके है। तब डंकन बोला अगर मेने उन्हें भेजा तो ये भी समझ लो के में भी उन्हीं की टीम में शामिल रहा हूंगा। तब पीटर एक शीशे में देखता है जिसमे डंकन दिखाई नही देता। तब पता चलता है कि डंकन भी भूत था।

      पीटर अब इस को लेकर बहुत दुखी रहता है। वो नेट से हर चीज खोज कर निकाल ता है और आख़िर मे उसे अपने गाँव का नाम मिलता है। पीटर तुरंत अपने गाँव जाता है जहां उसका बाप अकेला रहता था। पीटर भी वही खोज में उधर ही रुक जाता है। धीरे धीरे उसे सब याद आने लगता है। एक बार मे उसे अपना बचपन का दोस्त बेरी मिल जाता है। बेरी से हादसे की बात करने पर बेरी नाराज हो जाता है। उन दोनों ने कसम खाई थी के इस बात को कभी बाहर नही आने देगे। ओर बेरी वहा से चला जाता है। पीटर सब जानकर अपने aapko दोषी मानकर पुलिस स्टेशन जाता है अपना जुर्म कुबूल करने 

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