एक घटना भाग-1 रियल स्टोरी

 एक ऐसी घटना जिस पर फ़िल्म भी बनी। आज उसी घटना की कहानी पढ़े।

        कहानी की सुरुआत ऑस्ट्रेलिया के एक छोटे गांव की है जहां पर से एक रेल लाइन गुजरती थी। वहीं स्टेशन भी था। 2 लड़के जो आपस मे दोस्त थे उसी गांव में रहते थे । एक का नाम पीटर था दूसरे का नाम बेरी था। ये दोनों पक्के दोस्त थे जिसमें पीटर इस कहानी का हीरो है। अब ये दोनों बच्चे अपनी अपनी साईकल से रात के बक़त उसी रेल पटरियों के पास घूम रहे थे। तभी अचानक किसी लड़की की चीख सुनकर अपनी अपनी साईकल को ट्रेन की पटरी पर साइड में सुलाकर उस आवाज की ओर गये। जहाँ एक कार में कोई लड़का लड़की हो ऐसा अनुमान पीटर लगाता है। थोड़ी देर बाद एक स्कूल यूनिफॉर्म पहने लड़की को भागते हुए पीटर देखता है कि अचानक उन्हें ट्रेन आने की व्हिसल सुनाई देती है। तब उनके दिमाग मे बत्ती होती है कि उनकी सायकल पटरी पर पड़ी थी। दोनो उस तरफ भागते है। दोनो को साईकल की चिंता नही थी उस ट्रेन की चिंता थी कही पलट न जाये लेकिन पीटर के पहुँचने से पहले ट्रेन वहा पहुँच जाती है और दोनो साईकल हवा में उछाल कर थोड़ी आगे जाकर पटरियों को छोड़कर पलट जाती है। सारे के सारे यात्री उस हादसे में मर जाते है।दोनो बच्चो को ये मलाल रह जाता है कि उनकी वजह से ट्रेन पलट गई ओर सारे यात्रियों की मौत हो गयी। ये हादसा 1987 का है और अब 20 साल बाद वो बच्चा पीटर 34 साल का हो चुका है और ऑस्ट्रेलिया की दूसरी सबसे बड़ी सिटी मेलबोर्न में रहता है। पीटर अब साइकोथेरपिस्ट बन चुका है। उसकी शादी भी हो चुकी है। अपने घर से रोज वो ट्रेन से अपनी क्लीनिक जाता है। उसकी क्लीनिक भी मेट्रो ट्रेन की पटरी के पास है जहाँ से ट्रेन के गुजरने का बहुत शोर होता है। 

        पीटर अब वो हादसा भूल चुका है। वो अब अपने दिमागी तोर पर बीमार अपने पेशंट लोगो को सवाल जवाब कर के उनके रोग के बारे में जानकर उनका इलाज करता है। काम खतम कर के पीटर एक बड़े कॉलेज में जाता है जहां पर उसका दोस्त प्रोफेसर डंकन पढ़ाता है। पीटर उस से धन्यवाद कहता है क्योंकि डंकन ही पीटर के लिए दिमागी बीमार लोगो को भेजता है। यहाँ पर पीटर की एक ओर सच्चाई नजर आती है जो ये है कि पीटर की भी एक 5 साल की बच्ची थी जिसका सायकल चलाते वक्त एक्सीडेंट से मौत हो गयी थी। पीटर खुद भी इस बात से डिस्टर्ब रहता है क्युके वही अपनी बेटी को सायकल चलना शिखा रहा था तब अचानक एक चिज पर नजर जाती है और पीटर वही सायकिल को छोड़ कर रुक जाता है और उसकी बेटी अकेली ही आगे निकल जाती है जिस से उसका कार से एक्सीडेंट हो जाता है। पीटर याद नही कर पाता कि वो किस चीज को देखकर रुक गया था। ये पछतावा उसे जीने नही देता है। डंकन उसका हौशला बढ़ाता है। 


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