Army shayaeri मुश्किल तो था मगर नामुमकिन भी तो नहीं था गर बुलंद हौसले के साथ निकल पड़ते तो क़ामयाबी का मंज़र दूर भी तो नहीं था

Army shayaeri मुश्किल तो था मगर नामुमकिन भी तो नहीं था गर बुलंद हौसले के साथ निकल पड़ते तो क़ामयाबी का मंज़र दूर भी तो नहीं था

 

मुश्किल तो था मगर नामुमकिन भी तो नहीं था गर बुलंद हौसले के साथ निकल पड़ते तो क़ामयाबी का मंज़र दूर भी तो नहीं था

Mushkil to tha magar Namumkin bhi to nahin tha AGar Buland hosle ke sath nikal padte to kamyabi ka Manjar Dur bhi to nahin tha

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