MATALBI LOG SHAYAERI वक़्त नहीं है , सब कहते हैं मगर अपने मतलब का वक़्त , सब निकाल लेते है

 

MATALBI LOG SHAYAERI वक़्त नहीं है , सब कहते हैं मगर अपने मतलब का वक़्त , सब निकाल लेते है


वक़्त नहीं है , सब कहते हैं मगर अपने मतलब का वक़्त , सब निकाल लेते है
जब रिश्ता नया होता हैं तो,
लोग बात करने का बहाना ढुढते हैं,
और जब उही रिश्ता पुराना हो जाता हैं,.
तो लोग दुर होने का बहाना ढुढते हैं..

WAQT NAHI HAIN SAB KAHETE HAIN MAGAR APNE MATLAB KA WAQT SAB NIKAL.LETE HAIN ...

LOG BAAT KARNE KA BHAB DUNDHTE HAIN OR JAB  WOHI RISTA PURANA HO JAATA HAIN TO LOG DUR HONE KA BHANA DUNDHTE HAIN..

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