Muslim shayaeri मिट्टी को मिट्टी हिसे पड़ोसी का हाल कोई नहीं जानता

Muslim shayaeri मिट्टी को मिट्टी हिसे पड़ोसी का हाल कोई नहीं जानता

 

अजिब है इंसान की आदत भी कोसों दूर का दर्द दिल मे लिए फिरता है मग़र करीब में पड़ोसी का हाल कोई नहीं जानता अजीब खेल हैं इब्लीस का भी मिट्टी को मिट्टी हिसे दिलवाता है सदा यहां पर सह रग से करीब माबूद को कोई नहीं जानता


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