में कितना कुछ अनकहा रह गया बहुत कुछ कहना चाहता था मगर ख़ामोश रह गया कभी रिश्तों में मजबूर हो गया तो कभी दोस्ती में बेबस हो गया बहुत कुछ कहना चाहता था


 

में कितना कुछ अनकहा रह गया बहुत कुछ कहना चाहता था मगर ख़ामोश रह गया कभी रिश्तों में मजबूर हो गया तो कभी दोस्ती में बेबस हो गया बहुत कुछ कहना चाहता था मगर ख़ामोश रह गया 

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