दुआओं में हमने खुशियाँ कब मांगी उम्र भर की सजा थी सितम पे सितम किये जा रहा DRAD BHARI SHAYAERI

दुआओं में हमने खुशियाँ कब मांगी उम्र भर की सजा थी सितम पे सितम किये जा रहा DRAD BHARI SHAYAERI

 

दुआओं में हमने खुशियाँ कब मांगी थी हमने तो दर्द सहने की बस ताकत मांगी थी । अपनो की ही शायद कोई बद्दुआ थी , नाम रिश्ते का था उम्र भर की सजा थी ।
किस्मत का दरवाज़ा खुलने वाला है सुना है वो सख्श हार ने वाला है जो सितम पे सितम किये जा रहा था आज वो बादशाह फ़क़ीर होने वाला है



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