दुआओं में हमने खुशियाँ कब मांगी थी हमने तो दर्द सहने की बस ताकत मांगी थी । अपनो की ही शायद कोई बद्दुआ थी , नाम रिश्ते का था उम्र भर की सजा थी ।
किस्मत का दरवाज़ा खुलने वाला है सुना है वो सख्श हार ने वाला है जो सितम पे सितम किये जा रहा था आज वो बादशाह फ़क़ीर होने वाला है
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