बेखौफ हो चले ,, अपने बीते वक्त के किस्सों के साथ , जिसने बताया था सच ज़िंदगी का , अब क्या करना भटक कर , जो सीखना था वो सीख लिया , अब चले हैं होश में अपने सच के साथ
साम ढलने लगी है अब संभल जा , गुरुब होने लगा है सूरज अब संभल जा , ताकत के बल पर मत चल टूटने लगा है गुरुर अब संभल जा , जवानी पे ना इतरा छाने लगा है बुढ़ापा अब संभल जा
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